२०१९ में यदि भाजपा हारी तो बाजार में होगी बड़ी गिरावट


बाज़ारो के लिए प्रमुख कारक निवेश चक्र में तेजी आना है और इसमें तेजी कभी भी आ सकती है ! यदि नरेंद्र मोदी सर्कार अगली बार पुनः सत्ता में नहीं आती है तो इस से भारतीय सफलता की कहानी गंभीर रूप से प्रभावित होगी ! भारतीय बाज़ारो के लिए अन्य चुनौती म्यूच्यूअल फण्ड में भारी कमी आना है ! यह जोखिम शेयर बाजार में गिरावट के साथ बढ़ता है ! राजनीतिक अनिश्चित ता बाजार के लिए सबसे बड़ा करक है ! निवेशक इसे लेकर चिंतित है की भाजपा नीतराजाग पूरी तरह से बहुमत में नहीं आ सकता ! यदि २०१९ का चुनाव परिणाम तीसरे मोर्चे की सर्कार के निर्माण के पक्ष में रहता है तो बाजार में उसे से ज्यादा गिरावट आ सकती है ! तेल की ऊंची कीमते भी चिंता जनक है ! तेल कीमते बाद रही है क्योकि कीमतों  में नरमी के बावजूद पिछले कुछ वर्षो से  क्षमता तैयार नहीं हुई ! लेकिन ७० डॉलर प्रति डॉलर पर तेल की वापसी होने पर हम फिर से इसमें निवेश की सम्भावना देखेंगे

बीजेपी ने २०१९ की रणनीति  बनानी शुरू करदी है  ! बीजेपी   ने मंत्रियों की लक्ष्मण रेखा खींचनी शुरू की. शाह बोले, ''मंत्री अपने आसपास साफ छवि वाले लोगों को ही रखें. अगर रिश्तेदार पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो संबंधित मंत्री को भी नहीं बख्शा जाएगा.पार्टी   ने मोदी के आड़े आने वाले कई नेताओ की छुट्टी   करना शुरू करदी है    ! ये भी रणनीति का एक हिस्सा माना  जा रहा है !

तोगड़िया 32 साल तक विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष रहे हैं। तोगड़िया को नई टीम में कोई भी नया दायित्व नहीं मिला है और इसके साथ ही तोगड़िया ने संगठन छोड़ने की घोषणा भी की है। आज अडवाणी खेमे के नेता यशवंत सिन्हा ने भी पार्टी को छोड़ दिया  है ! सिन्हा  के बाग़ी तेवर और विवादित बयानों के बाद भी  पार्टी ने उन्हें निकाला नहीं था !  पटना में चल रहे राष्ट्रीय मंच के एक कार्यक्रम में उन्होंने यह घोषणा की. उन्होंने कहा, "लंबे अरसे से भारतीय जनता पार्टी के साथ जो मेरा संबंध है आज मैं वो संबंध विच्छेद कर रहा हूँ." ! उन्होंने अपने फैसले की मूल वजह ये बताई की आज देश मे लोकतंत्र खतरे में है. इसके बाद अब शत्रुघन सिन्हा हो  सकते है जो  २०१९ के चुनाव के पहले  पार्टी के प्रति अपना विरोद दर्शा सकते है





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