कुछ सावधानियां जो आॅनलाइन ट्रांजेक्शन को सुरक्षित बनाएंगी

जुलाई 17, 2018 ・0 comments

नोटबंदी  के बाद देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है। अब यूटिलिटी बिल्स से लेकर बड़े-बड़े लेनदेन आॅनलाइन किए जाने लगे हैं। अगर आप भी मोबाइल बैंकिंग या इंटरनेट के माध्यम से लेन-देन करते हैं तो आपके ​लिए यह जानना जरूरी है कि यह जितना सुविधाजनक है, सुरक्षा के लिहाज से उतना ही कमजोर भी। ऐसे में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में सेफ्टी की अनदेखी आपको हैकर्स का शिकार बना सकती है वहीं गलत कमांड या एंट्री भर देने पर आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। यही वजह है इस तरह के लेनदेन में कम्प्यूटर और फोन का मजबूत पासवर्ड, विश्वसनीय एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल, ओटीपी प्रोसेस अपनाना और कम से कम 128-बिट स्टैंडर्ड इंटरफेस वाली वेबसाइट पर ही लेन-देन करना जरूरी बन चुका है।


ओटीपी का विकल्प जरूर चुनें ओटोपी नंबर बहुत संवेदनशील है, इसलिए उसे किसी अजनबी के साथ शेयर न करें। भारतीय रिजर्व बैंक ने 2016 में 2 हजार रु. से कम के पेमेंट्स के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन में छूट दी थी, लेकिन इससे ऊपर के सभी लेन-देन बैंक या समकक्ष संस्थान यूजर की ओर से ओटीपी मिलने पर ही किए जा सकते हैं। इसी तरह आपके बैंक अकाउंट से जुड़ा मोबाइल नंबर हमेशा आपके या आपके भरोसेमंद व्यक्ति की पहुंच में होना चाहिए। अगर मोबाइल सिम खो जाए तो नया नबंर जल्द रिप्लेस करें और मोबाइल सेट के गुम जाने पर अपना फोन नंबर तुरंत बंद करके नए सिम कार्ड पर पुराना नंबर लेने के लिए आवेदन करें। फोन-वॉलेट लॉक करें पैटर्न या सिक्योरिटी कोड यूज करने के साथ ही अपने अकाउंट- वॉलेट में मनी की सुरक्षा के लिए फोन को हमेशा लॉक रखना चाहिए। इसके अलावा अपने वॉलेट-अकाउंट का सिक्योरिटी कोड एक्टिवेट करें ताकि आपकी जानकारी के बिना कोई और इसे यूज न कर सके। ऐसा पासवर्ड बनाएं, जिसका कोई अनुमान न लगा सके और उसे समय-समय पर बदलते भी रहें।


बैंक की वेबसाइट, पेमेंट गेटवे और डिजिटल प्लेटफॉर्म की वैधता की पुष्टि करने के लिए अपने ब्राउजर पर यूआरएल बार देख सकते हैं। अगर गूगल क्रोम यूज कर रहे हैं तो वेबसाइट को यूआरएल की बाईं तरफ हरे रंग का ‘सिक्योर’ लेबल दिखाना जरूरी है। इसके अलावा आप इस लेबल पर क्लिक करके उस वेबसाइट के बारे में और ज्यादा जानकारी ले सकते हैं। दूसरे ब्राउजर्स, जैसे फायरफॉक्स, माइक्रोसॉफ्ट ऐज और ओपेरा में भी यूआरएल के पास ऐसा ही लेबल चिन्हित होता है। कभी- कभी ये केवल हरे रंग का लॉक आइकन होता है। अगर किसी यूआरएल के लिए सिक्योर लेबल नहीं दिखाई दे, तो सावधानी बरतें और अपनी बैंकिंग से जुड़ी जानकारियों को शेयर करने से उसी समय रोक लें । यही नहीं, आपके कुछ टाइप करने से पहले ही ब्राउजर खुद ही उस वेबसाइट को खुलने से रोक देता एप्स को अपडेटेड रखें मोबाइल बैंकिंग एप्स को हमेशा विश्वसनीय साइटों जैसे गूगल प्ले स्टोर (एंड्रॉइड), एप स्टोर (आईओएस), मैकओएस और माइक्रोसॉफ्ट स्टोर से ही डाउनलोड करें। साथ ही अपने एप्स को हमेशा लेटेस्ट वर्जन से अपडेट करते रहें। इससे धोखाधड़ी की संभावना नहीं रहती है।

एप्स को अपडेटेड रखें मोबाइल बैंकिंग एप्स को हमेशा विश्वसनीय साइटों जैसे गूगल प्ले स्टोर (एंड्रॉइड), एप स्टोर (आईओएस), मैकओएस और माइक्रोसॉफ्ट स्टोर से ही डाउनलोड करें। साथ ही अपने एप्स को हमेशा लेटेस्ट वर्जन से अपडेट करते रहें। इससे धोखाधड़ी की संभावना नहीं रहती है।

एक टिप्पणी भेजें

If you can't commemt, try using Chrome instead.