कोच्चि - केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वहां जाने की कोशिश करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रेहाना फातिमा का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है। सामाजिक मान्यताओं और रुढ़ियों को तोड़ने की कोशिश करती रहने वाली रेहाना इससे पहले चर्चा में तब आई थीं जब एक प्रफेसर ने महिलाओं के स्तनों की तुलना तरबूजों से कर दी थी। विरोध करते हुए रेहाना ने एक सोशल मीडिया पर एक फोटो पोस्ट किया जिसमें वह टॉपलेस थीं और उन्होंने केवल अपने स्तन तरबूजों से ढके थे।
सरकारी कर्मचारी रेहाना दो बच्चों की मां हैं। वह एक मॉडल और ऐक्टिविस्ट हैं। उन्होंने सबरीमाला में जाने के कोशिश की तो उनके घर पर हमला कर दिया गया। लोगों का विरोध झेलने की रेहाना को आदत हो गई है। वह कहती हैं, 'मुझे समझ नहीं आता कि एक महिला के शरीर को लेकर इतना विवाद क्यों होता है। मैं एक महिला के शरीर से जुड़ी हुई सीमाओं पर सवाल करना चाहती थी। महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग मानक बनाए गए हैं।' रेहाना साल 2016 में त्रिसूर में केवल पुरुषों द्वारा किए जाने वाले ओणम टाइगर डांस में हिस्सा लेने वाली पहली महिलाओं में से एक हैं। उन्होंने साल 2014 में मॉरल पलीसिंग के खिलाफ 'किस ऑफ लव' में भी हिस्सा लिया था। रेहाना कहती हैं कि कोई भी एक दिन में बागी नहीं बनता। इंसान के अनुभव उसे वहां तक पहुंचाते हैं
पिता के निधन के बदले हालात रेहाना एक रुढ़िवादी मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ीं। उनकी पढ़ाई मदरसों में हुई। वह हिजाब पहनती थीं और पांच वक्त की नमाज करती थीं। चीजें तब बदलने लगीं जब उनके पिता का निधन हो गया। वह बताती हैं, 'घर में हम तीन महिलाएं (रेहाना, उनकी मां और बहन) ही थीं। मेरे पिता के गुजरने के बाद कोई भी मर्द घर आना चाहता था। वे नशे में आते थे या अंधेरा होने के बाद आते थे। मैंने कई बार लोगों के बीच में इस बारे में हंगामा किया लेकिन मुझे कोई समर्थन नहीं मिला।' उसके बाद धर्म से उनका विश्वास उठने लगा।
पिता की मौत के बाद रेहाना को उनकी जगह नौकरी मिल गई थी। वह कॉलेज के साथ-साथ काम करती थीं। वह किसी सामाजिक मुद्दे पर बोलने से नहीं चूकती हैं। वह कोचिंग रैकेट से लेकर कोच्चि में पीने के पानी की समस्या तक पर मुखर होकर बोलती हैं।
सबरीमाला विवाद के बाद उनके घर पर हमला हुआ है। हमलावरों को पकड़ लिया गया है।
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