सीधे-सीधे कहा जाए तो रोहित शेट्टी की नई फिल्म ‘सिंबा’ पुलिस एनकाउंटर की वकालत करने वाली फिल्म है। इसमें पुलिस इंस्पेक्टर सिंबा (रणवीर सिंह) थाने में उन दो लोगों को गोली मार देता है जिन पर एक लड़की के बलात्कार का आरोप है। सिंबा ऐसा अकेले नहीं करता बल्कि पूरा थाना और उसके सारे पुलिसकर्मी इसमें शामिल हैं। साथ ही कुछ महिलाओं और लड़कियों की रजामंदी भी इसमें शामिल है। और जो जांच अधिकारी (अजय देवगन) इस घटना की जांच करने आता है वो भी सिंबा की पीठ थपथपाता है और कहता है कि बिल्कुल सही किया। यानी सिंहम सिंबा को सर्टिफिकेट देता है- ‘शाबाश’। सिंबा यानी संग्राम भालेराव एक पुलिस अधिकारी है और पक्का घूसखोर है। उसकी छवि ऐसी बन गई है कि जब वो तबादले के बाद दूसरे थाने में जाता है तो वहां का एक पुलिसकर्मी मोहिले (आशुतोष राणा) उसे सैल्यूट नहीं करता, लेकिन सिंबा को उससे क्या? वो घूस लेकर अपराधियों का काम करता रहता है क्योंकि वो पुलिस में आया ही है पैसा कमाने के लिए। सिंबा अनाथ है और उसे बचपन में ही समझ में आ जाता है पैसा की ताकत बहुत बड़ी होती है। लेकिन एक दिन ऐसा भी आता है जब घूसखोर सिंबा का हृदय परिवर्तन होता है। उसकी मुंहबोली बहन के साथ एक दिन गोवा के माफिया डॉन (सोनू सूद) के भाई बलात्कार करते हैं और उसकी जान तक ले लेते हैं। इसके बाद सिंबा अपनी बहन के हत्यारों को सजा देने का फैसला करता है।
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