क्या प्रधान मंत्री मोदी आने वाले समय में एक कुशल राजनेता के रूप में जाने जायेंगे या इन महलो इमारतों और मूर्तियों की वजह से ?

 



कोरोना की महामारी हमारे राजनीतिक  नेतृत्व   
का भी इम्तेहान  ले रही है  ! राजनीती का  अखाडा  बन  गया है सेंट्रल विस्टा रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट!

भारत अपने  सबसे खराब स्वास्थ्य संकट के बीच दौर में है , इसी बीच    केंद्र एक शक्तिशाली राजनेता के पेट  प्रोजेक्ट- सेंट्रल विस्टा रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट (CVRP) के साथ-साथ लुटियंस दिल्ली   में आ रहा है। 20, 000 करोड़ रुपये में तैयार होने  वाले इस  परियोजना में एक नया संसद भवन, पीएम के लिए एक नया निवास, उप-राष्ट्रपति के लिए एक नया निवास और कार्यालय और सभी मंत्रालयों के लिए एक केंद्रीय सचिवालय आवास होगा। मौजूदा ब्रिटिश युग का संसद भवन जो १०० साल  पुराना भी नहीं है और अच्छी स्थिति में है, उसे संग्रहालय में बदल दिया जाएगा।  


 इस प्रोजेक्ट को बनाने   के  लिए करीब 400 प्राचीन पेड़ों को काटना पड़ा है। हलाकि इस प्रोजेक्ट को हाल ही में पर्यावरण से अनुमति मिल  गई है ! 




आज देश की प्राथमिकताएँ क्या होनी चाहिए? अस्पतालों में चिकित्सा ऑक्सीजन, बेड और वेंटिलेटर और अधिक आईसीयू  । क्योंकि हर जीवन मायने रखता है। क्योंकि जीवन अनमोल है। लोगों को ऑक्सीजन और अच्छे अस्पतालों की  ज़रुरत  के  बीच और एक मेगा परियोजना का निर्माण करना  क्या वाकई  आवश्यक   है ? , ये भारत के एक अरब से अधिक लोगों पर एक मजाक है। यदि आप उन्हें ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाएं नहीं दे सकते हैं, तो उनके घावों में नमक न रगड़ें।

कई शासक इतिहास के पन्नो   में  जाने  से  पहले   चाहते थे कि इमारतों और स्मारकों के माध्यम से उन्हें याद किया जाए। उन्होंने भव्य महलों का निर्माण किया क्योकि  वे दुश्मनों से आक्रमण के   भय में रहते थे ! उन शासको के लिए  स्कूल और कॉलेज बनाने से ज्यादा महत्वपूर्ण महल और मकबरे बनाना था। अनुसंधान और खोजों में निवेश करने के बजाय जो मानव सभ्यता को आगे बढ़ाने में मदद कर सकते थे, उन्होंने बड़े बड़े  बनवाये !
 
आम जनता के लिए जीवन को सुविधाजनक बनाने में निवेश करने के बजाय, इन राजघरानों ने बेशर्मी से अपने और अपने परिजनों और परिजनों के सुविधा  में खर्च किया। राजघरानों और रैयतों के जीवन स्तर के बीच की खाई बड़ी थी। एक समय के कई शानदार महल और किला आज खंडहर हैं। वे आधिकारिक उदासीनता और आपराधिक उदासीनता से पीड़ित हैं, जिनकी देखभाल करने के लिए एजेंसियों ने कार्य किया है।  क्या प्रधान मंत्री  मोदी   आने वाले समय में एक कुशल राजनेता के रूप में  जाने जायेंगे या इन महलो इमारतों और मूर्तियों की वजह से ?


इस कोरोना महामारी के बीच सभी बड़ी राजनितिक पार्टिया ने  पश्चिम बंगाल  जो  की भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में से एक है वह पर चुनाव जीतने  के लिए कई जन सभाये की गयी ।   प्रधान मंत्री की इसमें काफी आलोचना भी हुई ! देश जब एक वैश्विक  महामारी से लड़ रहा हो तब हमारे मंत्री  चुनाव जीतने की महत्वकांशा से रैलिया कर रहे थे , जिन्हे आधिकारिक रूप से  COVID-19 की रोकथाम करनी चाहिए !



हम भारतीय वहा  भी नहीं रुके हमने कुंभ में ४० लाख की भीड़ भी इखट्टी होने दी ! आज जो देश की हालत है उसमे सबका उतना ही हाथ है जितना हमारे राजनेताओ का ! मगर जिनके पास अधिकार था , सत्ता थी वो इसे एक तमाशे की तरह देखते रहे !  २०२४ तक मोदी जी की सरकार है , देखना ये है की अब उनकी तरफ से क्या मास्टरस्ट्रोक आने  वाला  है !


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