वक्फ अधिनियम: इतिहास, महत्व और हालिया संशोधन
वक्फ, इस्लामी कानून में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो किसी व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को धार्मिक, परोपकारी या सामाजिक कल्याण के लिए स्थायी रूप से समर्पित करने की प्रक्रिया को दर्शाता है। भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 लागू है, जिसे समय-समय पर संशोधित किया गया है। हाल ही में, वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 ने व्यापक चर्चा और विवाद को जन्म दिया है। यह लेख वक्फ अधिनियम के इतिहास, इसके उद्देश्य, प्रावधानों और हालिया संशोधनों पर प्रकाश डालता है।
वक्फ क्या है?
वक्फ, अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है 'रोकना' या 'समर्पित करना'। यह एक ऐसी संपत्ति होती है, जिसे कोई व्यक्ति (वाकिफ) इस्लामी कानून के अनुसार धार्मिक, शैक्षिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए समर्पित करता है। उदाहरण के लिए, मस्जिदों, कब्रिस्तानों, मदरसों, अनाथालयों, या गरीबों के लिए वित्तीय सहायता के लिए वक्फ बनाया जा सकता है। एक बार संपत्ति वक्फ के रूप में समर्पित हो जाने के बाद, वह स्थायी रूप से 'अल्लाह' की संपत्ति मानी जाती है और उसे बेचा, हस्तांतरित या व्यक्तिगत उपयोग में नहीं लिया जा सकता।
भारत में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्डों द्वारा किया जाता है, जो प्रत्येक राज्य में गठित किए जाते हैं। वक्फ बोर्डों के पास संपत्तियों के रखरखाव, पंजीकरण और विवादों के समाधान की जिम्मेदारी होती है। भारत में वक्फ बोर्ड के पास लगभग 8.54 लाख संपत्तियां हैं, जो 8 लाख एकड़ से अधिक भूमि पर फैली हैं, जिसके कारण यह सेना और रेलवे के बाद तीसरा सबसे बड़ा भूमि मालिक है।
वक्फ अधिनियम का इतिहास
भारत में वक्फ का इतिहास 12वीं सदी से शुरू होता है, जब मुहम्मद गोरी ने दो गांवों को वक्फ के रूप में दान किया था। दिल्ली सल्तनत और मुगल काल में वक्फ व्यवस्था का विस्तार हुआ। मुगल बादशाह अकबर और शाहजहां ने ताजमहल सहित कई संपत्तियों को वक्फ के रूप में समर्पित किया।
ब्रिटिश शासन में वक्फ को औपचारिक कानूनी ढांचा प्रदान करने के लिए 1913 में 'मुसलमान वक्फ वैलिडेटिंग एक्ट' लागू किया गया। 1923 में 'मुसलमान वक्फ एक्ट' और 1954 में पहला वक्फ अधिनियम पारित हुआ। 1995 में वक्फ अधिनियम को व्यापक रूप से लागू किया गया, जिसमें वक्फ बोर्डों को अधिक शक्तियां दी गईं। 2013 में इस अधिनियम में संशोधन कर वक्फ बोर्डों को और सशक्त बनाया गया, जिसके तहत वे बिना सत्यापन के संपत्तियों पर दावा कर सकते थे।
वक्फ अधिनियम, 1995: प्रमुख प्रावधान
वक्फ अधिनियम, 1995 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रशासन और प्रबंधन सुनिश्चित करना है। इसके प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
वक्फ बोर्ड का गठन: प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड का गठन अनिवार्य है, जिसमें अध्यक्ष, मुस्लिम विधायक, सांसद, इस्लामी विद्वान और मृतवालियां (वक्फ प्रबंधक) शामिल होते हैं।
सर्वेक्षण और पंजीकरण: सभी वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण और पंजीकरण वक्फ बोर्ड के साथ अनिवार्य है।
विवाद समाधान: वक्फ से संबंधित विवादों के लिए वक्फ ट्रिब्यूनल का गठन किया गया, जिसके निर्णय को किसी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती।
मृतवाली की भूमिका: मृतवाली वक्फ संपत्ति का प्रबंधक होता है, जो इसके रखरखाव और उपयोग की देखरेख करता है।
केंद्र और राज्य की भूमिका: केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड मिलकर वक्फ संपत्तियों की निगरानी करते हैं।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में पेश किया गया, जिसे 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के रूप में लागू किया गया। इस अधिनियम का नाम 'यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) अधिनियम, 1995' रखा गया है।
प्रमुख संशोधन
गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: पहले वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में केवल मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति अनिवार्य थी। नए कानून में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है।
महिलाओं का प्रतिनिधित्व: वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद में कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं की नियुक्ति अनिवार्य की गई है, ताकि लैंगिक समानता को बढ़ावा मिले।
वक्फ निर्माता की शर्त: पहले गैर-मुस्लिम भी वक्फ बना सकते थे, लेकिन अब केवल वही व्यक्ति वक्फ बना सकता है, जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हो।
वक्फ-बाय-यूजर की मान्यता रद्द: 'वक्फ-बाय-यूजर' (लंबे समय तक धार्मिक उपयोग से वक्फ मानी जाने वाली संपत्ति) की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है, जिसके कारण कई पुरानी मस्जिदों और कब्रिस्तानों की स्थिति पर सवाल उठे हैं।
पारदर्शिता और तकनीक का उपयोग: वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, लेखा-जोखा और प्रबंधन में तकनीक का उपयोग बढ़ाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाए गए हैं।
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