आज अहोई अष्टमी का व्रत है, जो कि व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दिवाली के 7 दिन पहले मनाया जाता है। यह व्रत मां अपनी संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखती हैं।
इस व्रत के दौरान अहोई माता के चित्र के साथ साही के बच्चों के चित्र बनाकर उनका पूजन किया जाता है। जिन स्त्रियों को ये व्रत करना होता है, वे दिनभर उपवास रखती हैं।सूर्यास्त होने के बाद अहोई माता की पूजा प्रारंभ होती है। पूजन से पहले जमीन को साफ करते है साथ ही पूजा का चौक तैयार करें। फिर एक लोटे में जलकर उसे कलश की भांति चौकी के एक कोने पर रखें और भक्ति भाव से पूजा करें।इस बार अहोई अष्टमी 12 अक्टूबर को है और पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 17.50 पर है। इसमें एक खास बात यह भी है कि पूजा के लिए माताएं चांदी की एक अहोई भी बनाती हैं। फिर अहोई की रोली, चावल, दूध व भात से पूजा करें।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें