भ्रादपद की रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म
हुआ था। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 2 सितंबर यानी रविवार को है।
मथुरा-वृंदावन के बारे में कहा जाता है कि यहां कहीं से भी एक पत्थर उछालो
तो वो किसी ना किसी मंदिर पर ही गिरता है। इसलिए इस धाम को मंदिरों की नगरी
भी कहा जाता है, साथ ही यहां हर मंदिर का भगवान कृष्ण से नाता भी है।
जन्माष्टमी के मौके पर आज हम आपको बताते हैं कि मथुरा-वृंदावन के इन
मंदिरों से भगवान कृष्ण का क्या नाता है…जैसा की आपको नाम से ही पता चल रहा है
कि भगवान कृष्ण का यहां कारागार में जन्म हुआ था। कृष्ण जन्मभूमि की
जन्माष्टमी विश्व प्रसिद्ध है। यह मंदिर मथुरा के बीचों-बीच स्थित है।मथुरा के राजा द्वारकाधीश मंदिर का
निर्माण 1814 में किया गया था। यहां आपको भगवान कृष्ण और इनसे जुड़ी घटनाएं
कलाकृतियों के द्वारा बखान करती हुई मिलेंगी। जन्माष्टमी के दौरान यहां
बहुत भीड़ होती है। मथुरा में जन्मभूमि के बाद द्वारकाधीश के मंदिर की सबसे
ज्यादा पूजा होती है।रहस्यों से भरा हुआ निधिवन। मान्यता है
कि यहां आज भी कान्हा गोपियों के साथ रास रचाने आते हैं। शाम होते ही मंदिर
में विशेष तैयारियां की जाती हैं। सभी घरों की खिड़की दरवाजे तक बंद हो
जाते हैं। यहां तक की पंक्षी और जानवर भी शाम को इस वन से चले जाते हैं।वृंदावन का मशहूर मंदिर श्रीबांके
बिहारी मंदिर। इस मंदिर के बिना वृंदावन की यात्रा पूरी नहीं होती है। यहां
होने वाले अलग-अलग तरह के श्रृंगार की वजह देश-विदेश से कई भक्त दर्शन
करने आते हैं। जन्माष्टमी के एक सप्ताह पहले से ही मंदिर में तैयारियां
जोर-शोर से शुरू हो जाती है।
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