डीएमके नेता एमके स्टालिन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम विपक्षी दलों की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया था. लेकिन यह सुझाव कई विपक्षी दलों को पसंद नहीं आया. स्टालिन ने इसके बाद सोमवार को अपने प्रस्ताव पर सफाई देते हुए एक बयान जारी किया. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट कर सकते हैं. स्टालिन ने कहा, 'प्रधानमंत्री के रूप में राहुल गांधी को पेश करना, धर्म निरपेक्ष ताकतों के लिए सही है.' साथ ही उन्होंने इस पर जोर दिया कि भाजपा शासित तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत राहुल गांधी की वजह से हुई है !
मसलन, 'क्या राहुल गांधी के नाम पर विपक्ष एकजुट हो सकता है? उनके नाम पर कई विपक्षी नेता सहमत नहीं हैं, फिर विपक्षी गठबंधन का क्या भविष्य होगा? क्या राहुल गांधी 2019 में प्रधानमंत्री मोदी के सामने टिकेंगे?'
ऐसे ज़्यादातर सवाल भाजपा और उसके शीर्ष नेता यानी प्रधानमंत्री मोदी की 'अपराजेय छवि' के बोझ से दबे नज़र आते हैं!
ये सवाल स्वाधीनता-बाद की भारतीय राजनीति के संक्षिप्त इतिहास को भी नज़रंदाज करते हैं !
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