शिव और विष्णु के पुत्र अय्यप्पन





दक्षिण भारत के विश्वप्रसिद्ध मंदिर सबरीमाला में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब महिलाएं भी प्रवेश कर सकेंगी। सबरीमाला मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित है।

आज शिव की कथाओं से गुजरते हुए अय्यप्पन से परिचय हुआ। वे केरल वासियों के बड़े देव हैं, सबरीमला मन्दिर मुख्यतः उन्हीं का मंदिर है। और यह भी पता चला कि उनका जन्म शिव और मोहिनी रूपी विष्णु के संयोग से हुआ है। केरल में जगह जगह आपको अय्यप्पा स्वामी का मंदिर मिलेगा, उन्हें स्वामी इसलिए भी कहा जाता है क्योकि उन्होंने १२ वर्ष की आयु में समाधी धारण की थी ! मान्यताओं के अनुसार उनका जनम महिषी नाम की एक आसुरी का वध करने के लिए हुआ था !

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अयप्पा के जन्म के बाद मोहिनी बने भगवान विष्णु और शिवजी ने इनके गले में स्वर्ण कंठिका पहनाकर इन्हें पंपा नदी के किनारे पर रख दिया था। तब पंडालम के राजा राजशेखर ने इन्हें अपना लिया और पुत्र की तरह इनका लालन-पालन किया। राजा राजशेखर संतानहीन थे। वर्तमान समय में पंडालम केरल राज्य का एक शहर है।

इस कथा का वर्णन कई पुराणों में अलग अलग तरीके से है। यहां तक कि बौद्ध कथाओं में भी है। कथा यूं है कि भोले भाले शिव ने भस्मासुर को वरदान दे दिया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वही भस्म यानी राख में बदल जायेगा। वरदान पाकर भस्मासुर ने मन बना लिया कि वह शिव के सिर पर ही हाथ रखेगा। अपने ही वरदान की वजह से परेशान शिव भागे भागे फिर रहे थे। उन्हें बचाने के लिये विष्णु ने मोहिनी का रूप धरा और भस्मासुर को मोह कर उसे अपने ही सिर पर हाथ रखने और भस्म हो जाने पर विवश कर दिया।

जब यह कांड खत्म हुआ और छिपे हुए शिव को यह खबर मिली तो उन्होंने तय किया कि वे विष्णु को मोहिनी रूप में देखेंगे। उन्होंने विष्णु से आग्रह किया, काफी दबाव डालने पर विष्णु मान भी गए। मगर जैसे ही विष्णु मोहिनी रूप में आये, शिव आशक्त हो गए। उनका खुद पर नियंत्रण नहीं रहा। आगे की कथा अलग अलग संदर्भों में अलग अलग तरीके से है, मगर यह हर जगह जिक्र है कि इस संयोग से हरिहरपुत्र का जन्म हुआ।

ये हरिहरपुत्र दक्षिण में अय्यप्पन कहलाये। उनकी वीरता की अलग कथाएं भी हैं। उन्हें समुद्री डाकुओं से नाविकों की रक्षा करने वाला देव भी माना जाता है। बौद्ध धर्म मानता है कि सबरीमला में रहने वाले 12वीं सदी के सिद्ध परमबुद्ध ही दरअसल अय्यप्पन हैं। केरल के मुसलमान भी अय्यप्पन के उपासक हैं। अय्यप्पन जो भी हो मगर भारतीय माइथोलॉजी उन्हें शिव और विष्णु के संयोग से उत्पन्न देव ही मानती है।

दिलचस्प है कि भारतीय मिथक कथाओं में शिव की एक ऐसी पुत्री मनसा का भी जिक्र है जो शिव के एक नाग कन्या के संयोग से पैदा हुई है। जब शिव अमृत मंथन के बाद विष पी लेते हैं तो यही उनकी पुत्री मनसा उनकी रक्षा करती है।

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