"खादी वस्त्र नहीं, विचार है", इस सूत्रवाक्य के रचयिता महात्मा गांधी की जगह जब् भारतीय दस लाख का सूट पहनने वाले नरेंद्र मोदी और महंगी बर्बरि कि टी शर्ट मे कांग्रेस के राहुल गाँधी को देखते है तो स्वाभाविक रूप से मन में सवाल आता है , की हमारे चुने हुए जन प्रतिनिधि महंगे और हम सस्ते हो गए है ! हर सरकारी विज्ञापन में सारे नेता चमकदार दिखते है ! हमारे माननीय प्रधान मंत्री भी विज्ञापनों में बढ़िया वस्त्रो में दीखते है ! हमारे राजनेता हम भारतीयों को प्रतिनिदित्व करते है, शायद इसलिए भी ये सवाल की तरह जन मनुष्य में उमड़ा होगा !
कुछ दिन पहले तृणमूल लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा, जिनकी संसद में लुई विटॉन बैग ने उन्हें खबरों में बनाये रखा ! उन्होंने तो मोदी जी पर ही व्यंग कर डाला , बोली मोदी जी ने अपना सूट बेचकर १० लाख रूपए दिए उस से खरीदा है ! महुआ मोइत्रा , राहुल गांधी इन सबके पास क्षमता है तो पहन रहे हैं। इसको विषय बनाना बेकार की बात है। मगर ये लोग इस बात को भूल रहे है की ये जनता के प्रतिनिधि है , जिस कृष्णानगर, पश्चिम बंगाल से महुआ आती है क्या वह भी लोग लुई वित्तो का बैग रखते है ? फिर तो कोई बात नहीं , जिन लोगो के साथ राहुल गाँधी पैदल यात्रा कर रहे है क्या वो लोग भी बर्बरी के कपडे पहने है फिर कोई बात नहीं !
हमने सुना था की Gucci, Burberry के कपडे Bvlgari का चश्मा, Movado की घड़ी और जेब में Mont Blanc की कलम ये सब गरीब लोगो के लिए बानी थी जो अमीर दिखना चाहते है ! क्योकि अमीर व्यक्ति को ये बताने की ज़रुरत नहीं की वो धनि है वो तो सादे कपड़ो में भी धनि ही रहेगा ! तो वस्त्र से आपके विचार का पता चलता है !
महात्मा गांधी ने अपनी गुजराती पोशाक का त्याग कर एक साधारण धोती और शॉल पेहेन ने का फैसला किया। यह युगांतरकारी निर्णय गांधीजी ने मदुरै में तब लिया जब उन्हें भारत के गरीब लोगों के लिए और उनके साथ काम करना है और अगर वह उनसे अलग कपड़े पहनते हैं तो वे उनके साथ कैसे पहचान कर सकते हैं। क्या ये बात हमारे राजनेता भूल गए है ? इसलिए ज़रुरत है सबको सक्षम बनाये जो आपके साथ खड़ा है ! सवाल उठना बंद हो जायेंगे जब आपकी पैदल यात्रा में हर कार्यकर्ता Burberry पहना हो ! बात बस इतनी से है !
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