19 साल बाद प्रदेश की 2500 से ज्यादा अवैध कॉलोनियों के वैध होने की मंजूरी मिलेगी । मंत्री माया सिंह की इस पहल को प्रदेश में सराहा जा रहा है ! प्रदेश सरकार ने नियमतिकरण के लिए कॉलोनी की विकास लागत में चार ब़डी छूट देने का प्रावधान किया है। अब कुल विकास लागत में न तो वाटर सप्लाई, सीवेज नेटवर्क और बिजली लाइनों को जा़ेडा जाएगा और न ही लोगों से इनके कनेक्शन के लिए भी कोई अतिरिक्त शुल्क वसूला जाएगा। इसके बाद बची विकास राशि में भी महज 20 प्रतिशत रकम लोगों को जमा करनी होगी। यदि सांसद या विधायक निधि मिल जाती है तो यह राशि और कम हो जाएगी।हालांकि यह कॉलोनियां 31 दिसंबर 2012 से पहले की होना चाहिए। सरकार ने नियमतिकरण के लिए तीन महीने की मियाद भी तय की है।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने मप्र नगरपालिक ([कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रेशन)] नियम 1998 में संशोधन प्रस्ताव को अंतिम रूप देकर मंत्री माया सिंह के पास भेज दिया है। अब इसी हफ्ते नोटिफिकेशन जारी हो सकता है। इसके तहत कॉलोनी के ओपन स्पेस की दुगनी रकम लोगों की बजाय बिल्डर को जमा करनी होगी। इसमें कॉलोनाइजर्स को नई कॉलोनी बनाने के लिए भी ढाई लाख रपए तक का अनुमति शुल्क और 50 हजार रुपए रजिस्ट्रेशन शुल्क लेने का भी प्रावधान रखा गया है।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने मप्र नगरपालिक ([कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रेशन)] नियम 1998 में संशोधन प्रस्ताव को अंतिम रूप देकर मंत्री माया सिंह के पास भेज दिया है। अब इसी हफ्ते नोटिफिकेशन जारी हो सकता है। इसके तहत कॉलोनी के ओपन स्पेस की दुगनी रकम लोगों की बजाय बिल्डर को जमा करनी होगी। इसमें कॉलोनाइजर्स को नई कॉलोनी बनाने के लिए भी ढाई लाख रपए तक का अनुमति शुल्क और 50 हजार रुपए रजिस्ट्रेशन शुल्क लेने का भी प्रावधान रखा गया है।
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