श्रावण मास वर्षा ऋतु का माह होता है। इस माह में मौसम का नजारा इतना मनोरम होता है कि बादलों की घटा में प्रकृति की छटा भी बिखरी हुई नजर आती है। हर ओर हरियाली छाने लगती है। पेड़ पौधे बारिश की बूंदों में धुलकर एकदम तरोताजा हो जाते हैं। पक्षी चहकने लगते हैं तो मन भी बहकने लगते हैं। इसीलिये सावन मास की अमावस्या बहुत खास मानी जाती है।अमावस्या पर स्नान, दान, श्राद्ध का विशेष महत्व है। इस दिन पितृों को प्रसन्न करने के लिए गाय के गोबर से बने उपले पर शुद्ध घी व गुड़ मिलाकर धूप देनी चाहिए। घर में जो भी ताजा भोजन बना हो, उससे भी धूप देने से पितृ प्रसन्न हो जाते हैं। सावन अमावस्या पर भूखे प्राणियों को भोजन कराने का विशेष महत्व है। इस दिन आटे की गोलियां मछलियों को खिलाने से परेशानियों का अंत होता है। चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं।
हरियाली अमावश को पीपल, बरगद, केला, नींबू, तुलसी आदि का पौधारोपण करना शुभ माना जाता है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है। पीपल, बरगद, नीम, तुलसी, केला आदि में देवता का वास बताया गया है। इस दिन पीपल के मूल भाग में जल, दूध अर्पित करने से पितृ तृप्त होते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि एक पेड़ दस पुत्रों के समान होता है। अतः हरियाली अमावस्या के दिन एक पौधे का रोपण अवश्य करना चाहिए।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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