सहित अन्य शहरों के विश्वविद्यालयों में जल्द ही सर्जरी हो सकती है। इसमें कई कुलपति और रजिस्ट्रार को बदला जा सकता है। खास बात तो यह है कि किसी एक संगठन की विचारधारा वाले अधिकारियों को इस सर्जरी का हिस्सा बनाया जा सकता है। चाहे बात बरकतउल्ला विश्वविद्यालय की करें या अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय की या फिर प्रदेश के एक मात्र तकनीकी विश्वविद्यालय आरजीपीवी की। सभी जगह सर्जरी होना लगभग तय माना जा रहा है।
खास बात तो यह है कि बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के कुलसचिव यूएन शुक्ला का कार्यकाल 13 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। इनका कार्यकाल बढ़ाने के लिए फाइल तो वल्लभ भवन पहुंच गई है, लेकिन कार्यकाल बढ़ाने का आदेश जारी नहीं हो पाया है। इधर, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा नीरज मंडलोई का कहना है कि फिलहाल यूएन शुक्ला को अंतरिम रूप से कार्य करने के लिए कहा जाएगा। जब तक अंतिम आदेश नहीं आ जाता। इससे स्पष्ट है कि सरकार बदलने के बाद यहां भी बड़े फेरबदल हो सकते हैं।
बता दें कि बीयू में छह करोड़ रुपए से सड़कें बनाने के मामले में विवि को ब्याज देना पड़ा। कर्मचारियों के खाते में ज्यादा पैसे जमा हो गए। उत्तर पुस्तिका जांचने में घोटाला उजागर हुआ। वाहन सेल में गाड़ियां मंत्रियों को भिजवाई गई। इन सब घटनाक्रम के बावजूद बीयू के रजिस्ट्रार की प्रतिनियुक्ति बढ़ाने की फाइल पर विचार किया जा रहा है।
इन पर गिर सकती है गाज
आरजीपीवी के कुलपति प्रो सुनील कुमार गुप्ता अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के करीबी माने जाते हैं। हालांकि इनकी नियुक्ति 22 जून 2017 को ही हुई है, लेकिन सरकार बदलने पर इनकी नियुक्ति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं, आरजीपीवी के रजिस्ट्रार एसके जैन पर भी गाज गिर सकती है।
विवि में नियुक्त किए गए शशिरंजन अकेला पर भी गाज गिरने की आशंका है। इधर, हिंदी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार सुनील कुमार पारे और कुलपति रामदेव भारद्वाज भी इस सर्जरी में शामिल हो सकते हैं। ऐसा ही हाल भोज विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों का होगा।
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