हिंदू पंचाग के अनुसार माघ माह की शुक्ल पक्ष अष्टमी को भीमाष्टमी के रुप में मनाया जाता है। इस दिन महाभारत के मुख्य किरदार भीष्म पितामाह ने अपने शरीर को छोड़ा था, इसी कारण से इस दिन को निर्वाण दिवस के रुप में मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन विधि के अनुसार व्रत किया जाता है। व्रत करने वाली महिला को बलशाली पुत्र की प्राप्ति होती है। इसी के साथ व्रत करने वाले श्रद्धालु को भीष्म पितामह की आत्मा को सुकून देने के लिए इस दिन तर्पण करना चाहिए।
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि भीष्म अष्टमी का व्रत करने वाले के जाने-अनजाने में किए हुए पाप नष्ट हो जाते हैं और साथ ही पितृदोष से मुक्ति और पितरों को शांति मिलती है। महाभारत की कथा के अनुसार मान्यता है कि इस दिन अपनी इच्छा से इस दिन शरीर त्याग किया था। भीष्म पितामह के निमित्त जो श्रद्धालु तिल, जल के साथ श्राद्ध, तर्पण करता है और जरुरतमंद लोगों को दान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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